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Friday, September 28, 2018

किसी भी संजीवनी बूटी से कम नहीं हैं ये फूल जानकर इसके फ़ायदे उड़ जाएंगे आपके होश


कनेर के पेड़ आसानी से बहुतायत में कहीं भी मिल जाते हैं। इनकी चार प्रजातियां सफेद, पीला, लाल और गुलाबी फूलों वाली होती हैं। जिनमें पीले और सफेद कनेर का औषधीय उपयोग अधिक होता है।




कनेर के फूल खासकर गर्मियों में ही खिलते हैं। कनेर के पेड़ को कुरेदने या खरोचने से बहुतायत में दूध निकलता है। इसकी फलियां चपटी गोलाकार पांच से छ: इंच वाली होती हैं।



कनेर का जहर डाइगाक्सीन की तरह होता है जो हदय की धड़कन को कम करता है। कनेर का एक बीज डाइगाक्सीन के सौ टेबलेट के बराबर असर करता है। इससे इस पौधे के उपयोग और असर के बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इनके सभी अवयवों का हम औषधीय लाभ लेते हैं।


कनेर के फूल के स्वास्थ्य लाभ -


दिल के दर्द के लिए - 



भोजन के बाद कनेर की जड़ की छाल का 100-200 मिलीग्राम पीसकर पानी के साथ या सुखा लें, इसको लेने से बार- बार पेशाब आता है जिसके कारण दिल का दर्द दूर हो जाता है। इसको लेने से अन्य हृदय से संबंधित विकारों का इलाज भी होता है।


दांतों के लिए इसका उपयोग एक टूथब्रश के रूप में -



भारत में कई लोग टूथब्रश के रूप में नीम की टहनियाँ या कुछ अन्य पौधों की पतली शाखाओं का उपयोग करना पसंद करते है, सफेद कनेर या ओलियंडर की शाखा दांत ब्रश करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, इसका उपयोग करने से दांतो में खून आने की समस्या ठीक होती है और दांत मजबूत बनते है।


सर के दर्द के लिए -



कांजी जो भारत में होली के त्योहार पर पिया जाने वाला पेय है और इसको बीटरुट, गाजर और सरसों का उपयोग करके तैयार किया जाता है। इसमें करौंदे के साथ कनेर या ओलियंडर के फूल पीसकर इसका लेप बना लें। माथे पर इस लेप को लगाने से बहुत राहत मिलती है।


पाइल्स के लिए -



ठंडे पानी के साथ कनेर या ओलियंडर की जड़ को पीसकर फोड़े पर लगाए, फोड़े हाथ लगाने से फूट सकते है इसलिए इसको सहजता से लगाना चाहिए। यह फोड़े ठीक करके पाइल्स के इलाज़ में मदद करता है।


फेस पैक के रूप में -



सफेद कनेर या ओलियंडर के फूल पीस लें और इसे चेहरे पर लगाए, इसका उपयोग करने से त्वचा के रंग में सुधार आता है और चेहरा चमकदार बनता है। 


नेत्र रोग में -



कनेर के पौधे की जड़, सौंफ और करंज के पत्ते को पीसकर पानी में मिलाकर आंखों में लेपन करने से संबंधित रोगों में लाभ होता है।


अर्श रोग में -



कनेर की जड़ को पीसकर ठंंडे पानी के साथ लगाने से अर्श रोगों में लाभ होता है।


दर्द में राहत हेतु -



कनेर के ताजा फूल 50 ग्राम, 200 ग्राम जैतून तेल और 100 ग्राम के अन्य तेल के मिश्रण को दर्द वाले नसों पर मालिश करने से लाभ होता है। इसी तरह काला धतूर, सफेद कनेर की जड़ को पीसकर तेल में मिलाकर पक्षाघात के रोगियों में लगाने से लाभ होता है। इसी तरह यह चर्म रोग, कुष्ठ रोग, खुजली, सर्प दंश, कृमि रोग और कफ वात नाशक होती है।




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